Comfort Zone is Dangerous for Your Career and Life

कम्फर्ट जोन है आपके करियर और जीवन के लिए घातक – Comfort Zone is Dangerous for Your Career and Life

Comfort Zone is Dangerous for Your Career and Life – कम्फर्ट जोन है आपके करियर और जीवन के लिए घातक

दोस्तों कम्फर्ट जोन (Comfort Zone) एक ऐसी सुरक्षित जगह है जहा बैठे आप अपने काम को करते है, पर यह आपको आगे और तार्राकी करने से रोकता है. यहाँ रहना ठीक है पर ज्यादा लम्बे समय तक अपने कम्फर्ट जोन में रहना आपकी करियर एवं जीवन के लिए बेहद हानिकारण हो सकता है.

आज हम आपको बताते है के इस स्तिथि से कैसे निकला जाए ताकि आप जीवन में नयी ऊँचाइयों को छु सके.

  1. चैलेंज वाली इंडस्ट्री या कंपनी से लगता है डर

कम्फर्ट जोन एक ऐसी जगह है जहा आप बिना किसी चुनौती के अपने जीवन को बिना तनाव के जी सकते है. यह एक ऐसा दायरा होता है जिसमें रहकर आप अपना जीवन और कार्य करना पसंद करते है. परन्तु केवल इसी में रहना आपके लिए बेहद घातक सिद्ध हो सकता है. आपको खुद को अपडेट रखने के लिए कुछ न कुछ नया सीखना ही पड़ता है.

आज के वक़्त वक़्त में बदलते युग में जो काम आपको आता है उसी में लम्बे वक़्त तक टिके रहना कोई आसान काम नहीं है और ज़रूरी नहीं के जो काम आप आज कर रहे है, वह कल रहेगा भी नहीं. ऐसे में हर पल कुछ ना कुछ नया सीखते रहे.

अपने दिमाग और शरीर को थोडा कष्ट दीजिये जिसे कम्फर्ट जोन में रहने की आदत हो चुकी है.

  1. अपने व्यवहार में बदलाव लाने से लगता है डर

एक ही जगह एक ही तरह के लोगो के बीच में रहने से आपको सोच भी सिमित हो जाती है, ऐसे में किसी नयी जगह काम धंधा या फिर घूमने फिरने के लिए जाने में, वह के लोग और बातें बदल जाती है, और ऐसे में आपको बहुत तकलीफ है और बहुत वक़्त लगता है अपने आप को बदलने में.

ऐसे में हर रोज़ नए नए लोगो से मिले, उनके विचार जाने, अपने विचार बताइये, ऐसा करके आप खुद को हर प्रकार के लोगो से बातचीत का ढंग सीख सकते है, जिस से आपको आगे चलकर मुसीबत का सामना ना करना पड़े.

  1. काम की लोकेशन का आपकी पसंद का ना होना

आपका खुद का बिज़नस है या आप किसी कंपनी में नौकरी करते है, कुछ सालो बाद आपको वह जगह छोड़नी ही पड़ती है, चाहे खुद की हो या नौकरी वाली. ऐसे में जब आप नयी जगह जाओगे तो ज़रूरी नहीं के सभी को उनके पसंद की लोकेशन मिलेगी. कई बार ऐसी लोकेशन भी मिलती है जो आपको बिलकुल पसंद नहीं होती है.

ऐसे में शुरू से ही अपने काम धंधे वाली जगह के आस पास की अच्छी और बुरी जगहों पर घुमने जाया करे, चाहे तो अपने आस पास के शहर एवं कस्बो में भी घूमकर आइये. देखिये वाला लोग कैसे काम करते है.

वहा के हालात आसान है या मुश्किल. आसान है तो वो कैसे आसान है और मुश्किल है तो वो मुश्किलों में कैसे काम करते है.

ऐसा करके आप खुद को आने वाले समय के लिए पहले ही तैयार कर सकते है.

  1. नौकरी या मार्किट की चुनौतियां

जहा दुनिया आर्थिक मुश्किलें झेल रहा है और भारत भी बेरोज़गारी से जूझ रहा है (क्योंकि भारत के लोगो को केवल सरकारी नौकरी ही पसंद है, और वो क्यों पसंद है यह सब आप अच्छे से जानते है).

ऐसे में अगर आपका ज़मीर जागता है के सरकारी नौकरी गयी भाड़ में मैं अपना कुछ करूँगा या प्राइवेट कंपनी में नौकरी करूँगा तो ऐसे में वह आने वाली चुनातियो के बारे में पहले से जाने के खुद धंधे में क्या मुश्किल आ सकती है और नौकरी में कैसे.

ऐसा जानकार आप खुद को आने वाली भी प्रकार की मुश्किल के लिए पहले से तैयार सकते है. और अपने करियर को सरल बना सकते है.

  1. नए बॉस से नहीं बन पा रहा तालमेल

कई बार जहा आप काम करते है वह का मालिक बदल जाता है या ऑफिस में बॉस बदल जाता है, ऐसे में नए इंसान से तालमेल बिठाना कई बार मुश्किल हो जाता है. इसे में कई बार आपका नया बॉस आपको काम में थोडा और तेजी लाने के बारे में बोलता है. इसका सीधा मतलब अब आपको अपने कम्फर्ट जोन  से बहार निकलकर थोडा और जोर लगाने की ज़रुरत पड़ती है.

ऐसे में आपको इसके लिए बुरा मानने की जगह शुक्रिया करना चाहिए, क्योंकि यही वह वक़्त है जब आप खुद को और बेहतर बना सकते है और अपनी नयी क्षमताओ  को बाधा सकते है. जिसका आपको भविष्य में फायदा ही होने वाला.

सांत्वना ; आश्वासनदिलासा ; धीरज ; शांति.

कम्फर्ट जोन को सुविधा क्षेत्र भी कहा जाता है.

 

दरअसल कंफर्ट जोन से कहने का मतलब यही होता है के व्यक्ति चुनौतियों का सामना करने की कूवत को खो देता है। कंफर्ट जोन में व्यक्ति शांति की जिंदगी जीता है मगर क्योंकि जिंदगी में कोई चुनौती नहीं होती है तो ऐसे में आपको नए अनुभव भी हासिल नहीं होते हैं। ऐसा करने से आप क्रिएटिव थिंकिंग (creative thinking - रचनात्मक विचारों) से दूर हो जाते हैं। (comfort zone)

एक कम्फर्ट जोन को मन की स्थिति के रूप में परिभाषित किया जा सकता है जिसमें लोग आराम से होते हैं, अपने पर्यावरण के नियंत्रण में होते हैं और निम्न स्तर की चिंता और तनाव का अनुभव करते हैं, यह वास्तव में एक कम्फर्ट जोन का पूरा अर्थ नहीं है।

ऐसा इसलिए है क्योंकि अलग-अलग लोगों में अलग-अलग चिंता और तनाव का स्तर होता है और एक पुरुष या महिला का चिंता स्तर दूसरे के ऊपर या नीचे हो सकता है। इसलिए, कम्फर्ट जोन एक व्यक्ति से दूसरे व्यक्ति में भिन्न होते हैं।

तो दोस्तों, यह थी कुछ ऐसी बातें जिन्हें अपनाकर आप अपने कम्फर्ट जोन  से बाहर निकलकर खुद को और बेहतर बना सकते है. इसलिए come out of comfort zone like my comfort zone is totally finished by me. मेरे जैसा इंसान इस से निकल सकता है तो आप भी निकल सकते है.

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