Why Companies Take Time to Find Top Executives – कंपनियों टॉप क्यों लगता है एग्जीक्यूटिव ढूंढने में वक़्त
दोस्तों ऐसा क्या कारण है के करोडो अरबो रुपये का कारोबार करने वाली कंपनियों को बहुत ज्यादा वक़्त लगता है अपनी कंपनी के लिए टॉप एग्जीक्यूटिव ढूढने में? आइये आज हम इसी पर आपके लिए लेकर आये है एक छोटा सा पर बेहद महत्वपूर्ण पोस्ट. तो चलिए शुरू करते है. (Top Executives)
ज्यादातर सीईओ को पुरानी नौकरी खोने से उबरने के लिए समय चाहिए, आपने पिछली जॉब को क्यों छोड़ा, इसकी परिस्थितियों के आधार पर, हो सकता है कि आप किसी नई भूमिका के लिए झुकने को तैयार न हों। नौकरी छूटना भावनात्मक रूप से दुःख देता है, जिस से उबरने में वक़्त लगता है.
आर्थिक मंदी है सबसे बड़ी परेशानी
दोस्तों केवल दुनियाभर में ही नहीं भारत में भी कई बार कम्पनीज को टोप एग्जीक्यूटिव को ढूँढने में एक साल तक का समय लग जाता है. आज की तारीख में तो इसका सबसे बड़ा कारण आर्थिक मंदी एवं लगातार हो रहा टेक्नोलॉजी में बदलाव ही है जिसके कारण कम्पनीज को नया एग्जीक्यूटिव ढूँढने में इतना वक़्त लगता है.
एक साल लगा नया CEO ढूँढने में
भारत में एक कार बनाने वाली कंपनी को CEO को फाइनल करने के लिए एक साल तक का वक़्त लग चूका है. लगभग एक अरब रुपये के कारोबार वाली इस कंपनी को, डिजाईन, R&D, और नयी प्रकार की स्टाइलिंग में स्पेशलिस्ट वाले कैंडिडेट की तलाश थी. इस कंपनी ने लगभग सोलह लोगो को चुना था और अंत में बहुत मुश्किल से एक व्यक्ति का चयन हुआ. (Top Executives)
कैंडिडेट अधिक और चुनाव एक का
ज्यादातर कोम्पनिएस पांच या दस लोगो को इंटरव्यू के लिए सेलेक्ट करती है, परन्तु कई बार कुछ कम्पनीज बीस से पचास लोगो को भी बुला लेती है. कड़े इंटरव्यू एवं कुशलता को देखने के बाद अंत में केवल एक का ही चयन इस कार्य का लिए होता है.
बिज़नस मॉडल में बदलाव
कई बिज़नस ऐसे भी होते है जिनकी स्तिथि हमेशा अनिश्चित बनी रहती है. डिजिटल और टेक्निकल बदलाव वाली मॉडल कम्पनीज पर इसका प्रभाव हमेशा से ही रहता है. यही कारण है के ऐसी कम्पनीज में CXO and CEO की खोज कई बार काफी लम्बे वक़्त तक चलती है.
किसी भी टॉप एग्जीक्यूटिव को कंपनी में फाइनल करने की जल्दबाजी करने से हर कंपनी हिचकती है. उनकी नजर हमेशा ऐसे व्यक्ति पर रहती है जो उनके काम के माहौल को भी ठीक रखे और काम को आगे भी बढ़ाये.
ड्यू डिलिजेंस में वक़्त
कई कंपनियां नए एग्जीक्यूटिव को रखने से पहले यह भी पक्का कर लेना चाहती है के उस व्यक्ति को दिया गया वक़्त जैसे के दो साल या फिर पांच साल, वह व्यक्ति उस समय को पूरा करके ही जाए, कही उस से पहले ना चला जाए, जिस से उन्हें फिर एक नए एग्जीक्यूटिव को खोजने में वक़्त और पैसा लगे.
यही कारण है के कम्पनीज इस कार्य के लिए व्यक्ति को चुनने से पहले पूरी सतर्कता बरतती है.
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कुछ सेक्टर्स में है पुरानी स्तिथि
इंजीनियरिंग, फार्मा, ऑटोमोबाइल, और टेलिकॉम जैसे सेक्टर की कम्पनीज में सिलेक्शन प्रोसेस में शुरू से बहुत वक़्त लगता है. वही दूसरी और कन्ज्यूमर और ई-कॉमर्स कंपनियों से जुड़े स्टार्टअप वर्क वाली कम्पनीज इसके लिए ज्यादा वक़्त नहीं लेती है. वह किसी भी प्रकार के टॉप एग्जीक्यूटिव के चयन के लिए ज्यादा वक़्त नहीं लेती है. (Top Executives)
सतर्क हो गयी है कंपनियां
किसी भी प्रकार के टॉप एग्जीक्यूटिव के चयन के लिए अब कम्पनीज पहले के मुकाबले काफी सतर्क हो चुकी है. वह किसी भी प्रकार की जल्दी में नहीं रहते है और अगर उन्हें कोई सही व्यक्ति इस काम के लिए नहीं मिले तो वह सही व्यक्ति के चयन के लिए लम्बा वक़्त भी ले सकते है.
लगभग तीन महीने के इस कार्यो को अब कम्पनीज छः महीने तक लगाने लग पड़ी है, क्योंकि यह उनकी कंपनी के काम काज पर असर डालता है, ऐसे में सही व्यक्ति के चयन से कम वह कुछ नहीं चाहते है. (Top Executives)
बेहतर से बेहतर कैंडिडेट की है ज़रुरत
कई कम्पनीज खुलकर स्वीकार करती है के उन्हें टॉप एग्जीक्यूटिव चुनने में काफी समय लगता है क्योंकि उन्हें एक ऐसे इंसान की जरुरत होती है जो काम के माहौल को बेहतर बनाये और वह काम कर रहे लोगो की बात सुने और सही ढंग से बदलाव लाये. यह डिमांड ज्यादातर उन कम्पनीज की रहेती है जिनकी आर्थिक हालत इस वक़्त कुछ ठीक नहीं चल रही है.
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