Management Lessons from Hanuman – हनुमानजी से सीखें मैनेजमेंट के 10 गुण

जी हाँ दोस्तों, आपने सही पढ़ा, हनुमानजी से सीखें मैनेजमेंट के 10 गुण (Management Lessons), कैसे? आइये आपको बताते है के कैसे.

शक्तिशाली, अमर भगवान हनुमान के जन्म का जश्न मनाने के लिए भारत में हनुमान जयंती मनाई जाती है। भगवान हनुमान अलौकिक गुणों के लिए जाने जाने वाले भगवान शिव के 11वें अवतार हैं।

हनुमान चालीसा के जाप का भगवान हनुमान के सच्चे भक्तों पर जादुई प्रभाव पड़ता है। रामायण के महाकाव्य में हनुमान ने बहुत महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। कलयुग में हनुमान सबसे प्रमुख देवता हैं।

हनुमान जी लोगों को पराजय से बचाते हैं। हनुमान युवाओं के सबसे अधिक मांग वाले भगवान हैं। हनुमान जयंती के इस दिन आइए हम भगवान हनुमान से कुछ जीवन प्रबंधन कौशल सीखें।

अंजनिपुत्र श्री हनुमान जी के एक बेहद कुशल प्रबंधन थे. हनुमान जी के मन, कर्म एवं वाणी पर संतुलन से काफी कुछ सीखा जा सकता है. उनका ज्ञान, विद्या, बुद्धि एवं बल के साथ साथ उनमें विनम्रता भी अप्पर थी. उनमे सही वक़्त पर सही कार्य को सही अंजाम तक पहुँचाने का चमत्कारिक गुण था.

आओ दोस्तों आज हनुमान जी की कार्य संपादन क्षमता और हार्या को कर्मठ तरीके जैसे अन्य व्यक्तित्व के बारे में जानते है और जनेनेगे Management Lessons from Hanuman.

  1. सिखने की लगन

हनुमान जी भगवन ने बचपन से लेकर आखिर तक कुछ ना कुछ सीखते ही रहे थे. उन्होंने अपनी माता अनजनी जी एवं पिता श्री केसरी जे के अलावा अपने धर्मपिता श्री पवनपुत्र से भी शिक्षा ली थी. उन्होंने माता शबरी के गुरु श्री मातंग ऋषि जी से भी शिक्षा ली थी, और भगवन सूर्य देव से भी शिक्षा ली थी. (Management Lessons)

  1. कार्य में कुशलता और निपुणता

भगवन श्री हनुमान जी में किसी भी कार्य को करने की उनकी अपनी ही अनूठी शैली थी, और वह हर काम में निपुण एवं कुशल थे. उन्होंने सुग्रीव की सहायता करने के लिए उन्हें प्रभु श्री राम जी से मिलवाया और श्री राम जी की सहायता के लिए उन्होंने अपने बल और भुद्धि से वह सब काम किये जिनका आदेश उन्हें प्रभु श्री राम जी ने दिया.

हनुमान जी के बहुत ही कुशल कार्य प्रबंधक थे. भगवन श्री हनुमान जी ने वानर सेना से लेकर समुंद्र लांघने तक में जो अपनी बुद्धि और कार्य कुशलता दिखाई वह उनके विशिस्ट मैनेजमेंट को दर्शाती है.

  1. सही प्लानिंग, वैल्यूज एवं कमिटमेंट

भगवान श्री हनुमानजी को जो भी कार्य दिया जाता था वह उसके पहले प्लानिंग बनाते थे और फिर उस कार्य पर काम करना शुरू करते थे. आप इस से बात जान लीजिये के भगवन श्ररी राम जी ने उन्हें जब लंका भेजा था तो उस वक़्त हनुमान जी से यह कहा था के यह अंगूठी वह सीता माता को दिखा दे और कहे के राम जी जल्द जी उन्हें लेने आयेंगे.

परन्तु उन्होंने समुन्द्र लांघने से पहले ही आने वाले मुसीबतों का प्लान भी बना लिया था.

चाहे वह राक्षसों का वध हो, रावण को कदा सन्देश देना हो, रावन की लंका जलना हो या विभीषण से मितार्ता करनी हो. इन बातो से उनकी कमिटमेंट, डेडिकेशन एवं डिवोशन का पता चलता है के वह कैसे पहले ही सब सोचके चलते थे और हर बाधा क ओअसान इसे सुलझा लते थे. इन सब चीजो काजीवन में कभी महत्त्व ख़तम नहीं होगा. (Management Lessons)

  1. अपार दूरदर्शिता

यह भगवान श्री हनुमान जी की दूरदर्शिया ही थी जो उन्होंने सहज और सरल वार्तालाप के गुण से कपिराज श्री सुग्रीव जी से श्रीराम भगवान की मित्रता करवाई और फिर बाद में विभीषण जी से भी मैत्री करवाई.

सुग्रीव जी ने प्रभु श्री राम जी की सहायता से ही बाली को मारा था तो श्री राम जी ने विभीषण की मदद से लंकापति रावण को मारा था. यह केवल हनुमान जी की चतुरता एवं कुशलता के चलते ही संभव हो सका था.

  1. निति कुशल

किसी और की इस्त्री एवं राजकोष को हड़पने के बाद सुग्रीव ने श्री राम की साथ छोड़ दिया था, परन्तु श्री हनुमान जी ने उन्हें साम, दाम, दंड, भेद की सभी नीतियों का प्रयोग कर उन्हें श्री राम जी को दिए वचन को पूरा करने की याद दिलाई.

इसके अलावा भी हनुमान जी ने ऐसे कई कार्य किये जहा उन्हें निति प्रोयग किया, जिस से वह कुशल ढंग से काम करवा सके.

श्री हनुमान भगवन की इसी मैनेजमेंट की सिख से पता चलता है के अगर इन्सान के लक्ष्य महान हो तो उन्हें प्राप्त करने के लिए यह निति अपनाई जा सकती है.

  1. साहस

हनुमान जी में साहस की कोई कमी नहीं थी, इसमें कोई शक नहीं है. वह किसी भी प्रकार की विषम से विषम स्तिथि में भी बिना विचलित हुए, अपनी दृढ इच्छाशक्ति से आगे बढ़ते रहते थे.

ना ही उनमें किसी प्रकार है दिखावा है, और ना ही छल कपट, उनके व्यवहार में भी पारदर्शिता बनी रही है, उनमें कुटिलता नाम की कोई कस्तू नहीं थी, वह एक भले मन के व्यक्तित्व वाले रहे है. उनके बल, साहस, निति एवं बुद्धि की प्रशंसा तो स्वयमं रावण भी करता था. (Management Lessons)

  1. लीडरशिप क्षमता

हनुमान जी भगवान् श्री राम जी के सेवक जरूर थे और उनकी हर आज्ञा भी मानते थे, परन्तु वह वानर सेना के लीडर भी थे. भगवन उनकी सबको साथ लेकर चलने की क्षमता को जानते थे. किसी भी प्रकार की मुश्किल या कठिनाई में वह पूरा साहस है और निर्भयता से सभी की हिम्मत बढ़ाते थे और सही मार्गदर्शन भी करते थे.

वह केवल लीडर ही नहीं थे अपितु सबकी बात धैर्यपूर्ण सुनते भी थे, वह हर कार्य में पूर्ण उर्जा से संपन्न होकर सक्रिय रहते थे और कार्य में वैसी ही उर्जा बनाये रखते थे.

  1. हर प्रकार की स्तिथि में मस्त रहना

हनुमान जो के चेहरे पर कभी भी किसी प्रकार की निराशा, चिंता या शोक जैसे लक्षण नहीं थे. वह अकिसी भी हाल में केवल मस्त और मस्त ही रहते थे. चाहे कोई कार्य हो, कोई खेल हो या उत्सव वह हमेशा मस्त ही रहते थे, उनके कभी गंभीर मुद्रा में नहीं देखा गया है.

वह तो जब सीता माता को श्री राम जी की निशानी देने गए थे तब भी वह अपनी ही मस्ती थे फल खा रहे थे और पूँछ में आगे लगने पर भी अपनी ही मस्ती में थे.

उन्हें मस्ती मस्ती में अनके का घमंड चूर चूर कर दिया था. ऐसे में हमें भी हर स्तिथि में खुद को सँभालते हुए मस्ती में रहते हुए, हर मुसीबत का सामना करना चाहिए. (Management Lessons)

  1. शत्रु पर निगाहे

भगवन श्री हनुमान की कैसी भी स्तिथि रहते हो, फिर वह चाहे भजन करना हो या आसमान में कही दूर उड़ना या फिर कही पर फल फूल खाना ही क्यों ना हो. वह जैसी भी स्तिथि में रहे पर उनका ध्यान हमेशा ही शत्रुओ पर अवश्य रहता था.

अपने दुश्मनों के असावधान होने पर उनके रहस्यों को जान लेना और अपने शत्रुओ के बीच में दोस्तों को खोज लेना के बारे में आप इस बात से ही पता लग असकते हो के उन्होंने रावण की लंका में भी विभीषण जैसा दोस्त ढूंढ लिया था.उनमें थिंकिंग और एक्ट का अद्भुत मिश्रण है.

  1. विनम्रता

हनुमान चाहे जितने बड़े शातिशाली थे. उन्होंने अपने जीवनकाल में इतने बड़े बड़े कान द्किये, परन्तु उनके जितनी विनम्रता भी किसी में नहीं है, उन्होंने जब भी किसी से बात की हमेशा विनम्र ही बने रहे. और उनकी इसी विनम्रता के कारण उन्हें सभी का प्यार और सामान मिला.

शक्तिशाली, अमर भगवान हनुमान के जन्म का जश्न मनाने के लिए भारत में हनुमान जयंती मनाई जाती है। भगवान हनुमान अलौकिक गुणों के लिए जाने जाने वाले भगवान शिव के 11वें अवतार हैं।

हनुमान चालीसा के जाप का भगवान हनुमान के सच्चे भक्तों पर जादुई प्रभाव पड़ता है। रामायण के महाकाव्य में हनुमान ने बहुत महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। कलयुग में हनुमान सबसे प्रमुख देवता हैं। हनुमान लोगों को पराजय से बचाते हैं। हनुमान युवाओं के सबसे अधिक मांग वाले भगवान हैं।

यह विडंबना ही है कि भारत में युवा आबादी बड़ी है, लेकिन Life Management की कमी के कारण उनकी क्षमता का दोहन नहीं हो पा रहा है। भगवान हनुमान युवा पीढ़ी के एक महान आदर्श हैं। हनुमान जी का चरित्र साहस, ज्ञान और शक्ति से भरपूर है।

हम चाहे अपने जीवन में किसी भी पद पर हो, अगर हम भी विनम्र बनकर रहेंगे तो हमे भी लोगो से अपनी पीठ पीछे उतना ही मान सामान मिलेगा जितना के सामने मिलता है.

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