SBI Financial Year Report से जानिये के नौकरी के लिहाज से कैसा रहेगा आपका यह साल

SBI Financial Year Report – भारत के सबसे बड़े बैंक एसबीआई (State Bank of India – भारतीय स्टेट बैंक) के अर्थशास्त्रियों का मानना है के इस वित्त वर्ष यानि के 2021-22 में श्रम बाजार की गतिविधियां भारत में बहुत तेजी से सुधरेंगी और यह कंपनियां महामारी कम होने के साथ साथ ही नियुक्ति की योजनाओं को आगे बढ़ाने जा रही हैं।

दोस्तों, SBI अर्थशास्त्रियों ने कर्मचारी भविष्य निधि संगठन (EPFO – ईपीएफओ) और नई पेंशन योजना (NPS – एनपीएस) के नियमित तौर पर जारी मासिक वेतन रजिस्टर (Monthly Salary Register) के आंकड़ों का जिक्र किया।      

मुख्य अर्थशास्त्री घोष ने एक नोट में कहा, ”हमारा यह अनुमान है के इस चालू वित्त वर्ष में श्रम बाजार की गतिविधियां पहले के मुकाबले काफी बेहतर रहेंगी। और यह कंपनियां आने वाले समय में जल्द ही नियुक्ति योजनाओं को अमल में लाएंगी।”

प्रधानमंत्री गति शक्ति योजना 2021

प्रधानमंत्री बेरोजगारी भत्ता योजना

ऐसे समय में रोजगार को लेकर यह उम्मीद जतायी गयी है, के जब दूसरी महामारी के बाद बेरोजगारों हुए लोगो की संख्या बढ़ने कगी और अर्थव्यवस्था में श्रम भागीदारी में हुई कमी को लेकर चिंता जतायी जाती रही है।, ऐसे में जल्द ही नयी नौकरियों से सब अच्छा ही होने वाला है.

सेंटर फार मॉनिटरिंग इंडियन एकोनॉमी (Center for Monitoring Indian Economy (CMIE)) (सीएमआईई) के अनुसार केवल अगस्त के महीने में ही 15 लाख से ज्यादा भारतीयों की नौकरियां चली गयी। और इसमें 13 लाख लोग तो केवल ग्रामीण क्षेत्रों से हैं।

ऐसे में देश में रोजगार आंकड़े की कमी को लेकर विभिन्न प्रकार के तबकों में चिंता समय समय पर जतायी जाती रही है।

SBI Financial Year Report

ईपीएफओ और एनपीएस (EPFO – NPS) के रोजगार के आंकड़े की भरपूर आलोचना की जाती रही है क्योंकि यह केवल सब संगठित क्षेत्र में नौकरियों तक ही सीमित है। जबकि बहुत सारा काम तो असंगठित क्षेत्र में होता है।    

घोष ने यह भी कहा के, ”क्षेत्र को संगठित रूप देने की दर 10 प्रतिशत है। और कुल नियमित रोजगार (पेरोल) में नई नौकरियो का अनुपात 50 प्रतिशत है।

और यह बताता है के प्रत्येक दो रोजगार में से एक व्यक्ति नियमित नौकरी में नया जुड़ा है। इस नए वित्तय वर्ष 2020-21 में जो के 47 प्रतिशत था। यानी अब इसमें कुछ सुधार हुआ है।”

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SBI के अर्थशास्त्रियों की रिपोर्ट के मुताबिक जून की तिमाही में लगभग 30.74 करोड़ नियमित नौकरियां सृजित हुई। और इसमें से 16.3 लाख नई नौकरियां थी, जो के पहली बार ईपीएफओ या फिर एनपीए से जुड़े है।

इस रिपोर्ट में कहा गया है के अगर नई नौकरियों की रफ्तार इसी प्रकार से बढती रही तो यह 2021-22 में 50 लाख के आंकड़े को पार कर सकता है जो के 2020-21 में लगभग 44 लाख था।

इस रिपोर्ट के अनुसर यह अच्छी बात है कि शुद्ध रूप से ईपीएफओ अंशधारकों की संख्या वित्त वर्ष 2021-22 की पहली तिमाही में अच्छी बढ़ी है। और यह बताता है कि महामारी की दूसरी लहर के दौरान श्रम बाजार में कुछ ख़ास समस्याएं नहीं आयी है.

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